जिम कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान भारत के उत्तराखंड राज्य के नैनीताल जिले में स्थित है, जो केवल उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि भारत का सबसे पुराना और पहला बाघ संरक्षण राष्ट्रीय उद्यान है। इस उद्यान को बंगाल टाइगर को बचाने के लिए बनाया गया है, जिसमें बाघों की कुल आबादी 260 से भी ज्यादा है। इस अभ्यारण्य में कई सारे जानवरों, पक्षियों और पेड़-पौधों की प्रजातियां पाई जाती है।
आखिर क्यों खतरे में है, जिम कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान और उसमें निवास करने वाले जानवरों का जीवन?
जिम कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान में एक ऐसा पेड़ और एक झाड़ी है, जो ना तो जानवरों को पसंद होता है और ना ही इस पेड़ से कोई जंगल स्वस्थ रह सकता है। तो चलिए जानते हैं कि वे कौन-से पेड़ और झाड़ी है, जिसकी वजह से जिम कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान और उसमें निवास करने वाले जानवरों का जीवन खतरे में है।
1. टीफूड का पेड़ – यह पेड़ फर्नीचर बनाने के काम में आता है। यह एक ऐसा पेड़ है, जो अपने नीचे का सारा पानी जमीन से सोंख लेता है, जिसकी वजह से इस पेड़ के नीचे एक भी पौधा नहीं उग पाता है। सरकार द्वारा जब इस पेड़ को विकसित किया गया था, तो उस समय सरकार का मकसद वन्यजीव से ज्यादा पैसा कमाना था, इसलिए सरकार ने इस पेड़ को विकसित किया था।
2. लांटना झाड़ी – इसे “जंगल का कैंसर” कहा जाता है, जिसका हिंदी नाम बटन फूल है। यह एक ऑस्ट्रेलियन ग्रास है, जिसके अंदर शिकारी छुपकर शिकार करता था, लेकिन वर्तमान में यह भारत के जंगलों में इतना ज्यादा फैल गया है कि इसने भारत के वन्यजीव को खतरे में डाल दिया है। यह प्राकृतिक टेंट जैसा बन जाता है, जिससे बांस के जैसा ही बुना हुआ फर्नीचर बनाया जाता है।
लांटना झाड़ी को जंगल का कैंसर इसलिए बोला जाता है, क्योंकि इस झाड़ी को कोई भी जानवर पसंद नहीं करता है और इस झाड़ी के नीचे कोई भी दूसरा पौधा नहीं उग पाता है। साथ ही यह झाड़ी तुरंत किसी भी जंगल को अपनी जकड़ में ले लेता है, क्योंकि इस झाड़ी का बीज जहां भी जाता है, वहां पर दूसरा झाड़ी तैयार हो जाता है। यह झाड़ी किसी भी जंगल के लिए इतना खतरनाक होता है कि अगर इस झाड़ी के किसी बीज को कोई चिड़िया या बंदर खा लेता है और सुबह जहां भी पोट्टी करता है, वहां पर भी यह झाड़ी उत्पन्न हो जाता है। तो अब आप समझ ही गए होंगे कि इस झाड़ी को जंगल का कैंसर क्यों कहा जाता है।
(इन्हें भी पढ़े : – मुनस्यारी में घूमने लायक खूबसूरत जगह)
जिम कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान और उसमें निवास करने वाले जानवरों की सुरक्षा करने के लिए सरकार द्वारा लिया गया फैसला –
सरकार ने धीरे-धीरे टीफूड के पेड़ की कटाई करके इसके जगह पर मिक्स जंगल लगाने के बारे में सोंच रही है, जिसे जानवर भी बहुत पसंद करते हैं और मिक्स जंगल में जानवर ज्यादा समय तक जीवित भी रहते हैं।
लांटना झाड़ी को भी जंगल और जंगल के आसपास के क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों को काटने और उससे बुने हुए फर्नीचर बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है और उनके द्वारा बनाए गए फर्नीचर को आगे सेल भी करवाया जा रहा है। ऐसा करने से लांटना झाड़ी को काट कर फर्नीचर बनाकर बेचने वालों को भी ₹ 7000-8000 का कमाई हो जा रहा है और साथ ही जंगल की सफाई भी धीरे-धीरे होती जा रही है।
अब यही देखना है कि कितना जल्दी इन दोनों पेड़ और झाड़ी की कटाई खत्म हो जाती है, ताकि जंगल को इस पेड़ और झाड़ी से सफाई करने के बाद यहां पर मिक्स जंगल लगाया जा सके और जंगल में रहने वाले जानवरों को भी कोई परेशानी ना हो पाए।
मैं आशा करता हूं कि यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। अगर इस पोस्ट से संबंधित आपका कोई सवाल हो, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। मैं आपको जवाब देने की कोशिश जरूर करूंगा।
धन्यवाद।
इन्हें भी पढ़े-